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9789380661896 619c916d3201b1458229a9c4 जीव का लक्ष्य - हिन्दी https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/619d01fe0bc1dd8e3daa81fe/074-books-scattered-table-mockup-covervault.jpg

‘जीव का लक्ष्य’ जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा दी गई इस प्रवचन शृंखला में सात प्रवचन हैं जो उन्होंने भक्ति-धाम मनगढ़ में होली साधना शिविर 2003 में (11 मार्च से 17 मार्च) दिये। सभी श्रोताओं का यह प्रेमाग्रह रहता है कि यदि श्री महाराज जी के प्रवचन पुस्तक रूप में प्राप्त हो जायें तो विषय अधिक हृदयग्राही हो जाता है। सभी प्रवचनों का प्रकाशित होना तो सम्भव ही नहीं है। धीरे-धीरे कुछ-कुछ प्रवचन प्रकाशित किये जा रहे है।

प्रवचन यथार्थ रूप में ही प्रकाशित किये जा रहे हैं। अंग्रेजी के शब्दों का भी हिन्दी अनुवाद नहीं किया गया है जिससे आचार्य श्री के श्रीमुख से नि:सृत वाणी मूल रूप में ही रहे।

Jeev Ka Lakshya - Hindi
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जीव का लक्ष्य - हिन्दी

देव दुर्लभ मानव देह का महत्व
भाषा - हिन्दी

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विशेषताएं
  • मानव जीवन का उद्देश्य क्या है? सभी जिज्ञासुओं द्वारा पूछे जाने वाले इस महत्त्वपूर्ण आध्यात्मिक प्रश्न का व्यावहारिक एवं आकर्षक स्पष्टीकरण
  • भक्ति का सार, भगवान् के तीन रूप- ब्रह्म, परमात्मा एवं भगवान् तथा भगवत्प्रेम, साधना भक्ति और भगवत्प्राप्ति जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश
  • श्री कृपालु जी महाराज द्वारा दिये गये गीता, उपनिषद, पुराण, वेद और अन्य जगद्गुरु तथा जगद्गुरु शंकराचार्य एवं गौरांग महाप्रभु जैसे अन्य रसिक संतों के उद्घोष का समावेश
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प्रकार विक्रेता मूल्य मात्रा

विवरण

‘जीव का लक्ष्य’ जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा दी गई इस प्रवचन शृंखला में सात प्रवचन हैं जो उन्होंने भक्ति-धाम मनगढ़ में होली साधना शिविर 2003 में (11 मार्च से 17 मार्च) दिये। सभी श्रोताओं का यह प्रेमाग्रह रहता है कि यदि श्री महाराज जी के प्रवचन पुस्तक रूप में प्राप्त हो जायें तो विषय अधिक हृदयग्राही हो जाता है। सभी प्रवचनों का प्रकाशित होना तो सम्भव ही नहीं है। धीरे-धीरे कुछ-कुछ प्रवचन प्रकाशित किये जा रहे है।

प्रवचन यथार्थ रूप में ही प्रकाशित किये जा रहे हैं। अंग्रेजी के शब्दों का भी हिन्दी अनुवाद नहीं किया गया है जिससे आचार्य श्री के श्रीमुख से नि:सृत वाणी मूल रूप में ही रहे।

विशेष विवरण

भाषा हिन्दी
शैली / रचना-पद्धति सिद्धांत
विषयवस्तु जीवन परिवर्तनकारी, स्वयं को जानो
फॉर्मेट पेपरबैक
वर्गीकरण प्रवचन
लेखक जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
प्रकाशक राधा गोविंद समिति
पृष्ठों की संख्या 194
वजन (ग्राम) 227
आकार 14 सेमी X 22 सेमी X 1 सेमी
आई.एस.बी.एन. 9789380661896

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Ankur
Apr 22, 2023 10:05:59 PM