"विदेशी दार्शनिकों ने उपनिषदों की बहुत प्रशंसा की है और कहा है कि उपनिषद सूर्य के समान हैं और अन्य सभी दर्शन उनकी किरणें हैं। शोपेनहावर, मैक्स मूलर और अन्य महान दार्शनिकों ने इसे स्वीकार किया है।" जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
राधा गोविन्द समिति द्वारा भक्तियोगरसावतार जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा दी गई विभिन्न प्रवचन शृंखलाओं को समय-समय पर प्रकाशित किया जा रहा है। इसी क्रम में एक और शृंखला ‘श्रुति सिद्धान्त’ है जो ‘श्री कृपालु धाम मनगढ़’ में 2007 के साधना शिविर के दौरान क्रमशः नवम्बर माह में दी गई। इस शृंखला में सम्मिलित प्रवचनों में आचार्य श्री ने उपनिषदों के सिद्धान्तों का निरूपण अतिसुन्दर एवं बोधगम्य स्वरूप में प्रस्तुत किया है, जो जनसामान्य के लिये अत्यधिक उपयोगी है।
इस शृंखला में आचार्य श्री ने प्रथम जीव के लक्ष्य को समझाया पश्चात् उसे प्राप्त करने वाले श्रुति सम्मत तीन मार्गों कर्म, ज्ञान एवं भक्ति का निरूपण किया तथा भक्ति की प्राधान्यता व्यक्त करते हुए निष्काम एवं अनन्य भक्ति का सन्देश दिया जो समस्त उपनिषदों का सार है।
Upanishadon Ka Saar - Hindiप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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"विदेशी दार्शनिकों ने उपनिषदों की बहुत प्रशंसा की है और कहा है कि उपनिषद सूर्य के समान हैं और अन्य सभी दर्शन उनकी किरणें हैं। शोपेनहावर, मैक्स मूलर और अन्य महान दार्शनिकों ने इसे स्वीकार किया है।" जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
राधा गोविन्द समिति द्वारा भक्तियोगरसावतार जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा दी गई विभिन्न प्रवचन शृंखलाओं को समय-समय पर प्रकाशित किया जा रहा है। इसी क्रम में एक और शृंखला ‘श्रुति सिद्धान्त’ है जो ‘श्री कृपालु धाम मनगढ़’ में 2007 के साधना शिविर के दौरान क्रमशः नवम्बर माह में दी गई। इस शृंखला में सम्मिलित प्रवचनों में आचार्य श्री ने उपनिषदों के सिद्धान्तों का निरूपण अतिसुन्दर एवं बोधगम्य स्वरूप में प्रस्तुत किया है, जो जनसामान्य के लिये अत्यधिक उपयोगी है।
इस शृंखला में आचार्य श्री ने प्रथम जीव के लक्ष्य को समझाया पश्चात् उसे प्राप्त करने वाले श्रुति सम्मत तीन मार्गों कर्म, ज्ञान एवं भक्ति का निरूपण किया तथा भक्ति की प्राधान्यता व्यक्त करते हुए निष्काम एवं अनन्य भक्ति का सन्देश दिया जो समस्त उपनिषदों का सार है।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | सिद्धांत |
फॉर्मेट | पेपरबैक |
लेखक | जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
आकार | 21सेमी X 14सेमी X 0.7सेमी |
वजन (ग्राम) | 182 |