जगद्गुरु कृपालु भक्तियोग तत्त्वदर्शन
जगद्गुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रकटित ज्ञान (प्रवचन, संकीर्तन एवं साहित्य) को सामूहिक रूप से कृपालु भक्तियोग तत्त्वदर्शन के नाम से जाना जाता है जो कि वेदों, पुराणों और अन्य शास्त्रों पर आधारित है एवं दैनिक जीवन में बहुत ही उपयोगी व समझने में आसान है।
आगे पढ़ें..जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज विश्व के पंचम मूल जगद्गुरु हुए। उनको 1957 में 500 शीर्षस्थ शास्त्रज्ञ विद्वानों की तत्कालीन सभा- काशी विद्वत् परिषत् द्वारा 'जगद्गुरु' की मूल उपाधि से विभूषित किया गया। उनके भक्ति रस से ओतप्रोत व्यक्तित्व को देखकर उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि ये भक्तियोगरसावतार हैं । इनके द्वारा प्रकटित ज्ञान का अगाध समुद्र आज कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन के नाम से जाना जाता है। इनका अलौकिक साहित्य यथा प्रेम रस सिद्धांत, प्रेम रस मदिरा, राधा गोविंद गीत आदि, इनके द्वारा विश्व को समर्पित दिव्यातिदिव्य स्मारक- प्रेम मंदिर, कीर्ति मंदिर एवं भक्ति मंदिर तथा वेदों शास्त्रों के प्रमाणों से युक्त प्रवचन एवं रसमय संकीर्तन के माध्यम से सम्पूर्ण विश्व का कल्याण हो रहा है।
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