G-12, G-14, Plot No-4 CSC, HAF Sector-10, Dwarka 110075 New Delhi IN
जे के पी लिटरेचर
G-12, G-14, Plot No-4 CSC, HAF Sector-10, Dwarka New Delhi, IN
+918588825815 https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/621dbb04d3485f1d5934ef35/logo-18-480x480.png" [email protected]
61c0811811317a926093a6cd आध्यात्म सन्देश - गुरुपूर्णिमा 2007 - हिन्दी https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/61c1c133c770f9ab959e397a/gp7.jpg

गुरु -पूर्णिमा के पावन-पर्व पर सभी पाठकों को हार्दिक बधाई।

अकारण करुणा के मूर्तिमान स्वरूप कृपालु गुरु देव के पादपद्मों में कोटि-कोटि प्रणाम।

शब्दों की गति नहीं है उनकी महिमा का गान करने में। अवर्णनीय है उनकी कृपा। विश्व के कोने-कोने में स्वयं जाकर ब्रजरस की वर्षा कर रहे हैं। किस प्रकार से वे कलियुग में मन्दातिमन्द जीवों के मस्तिष्क में गूढ़ शास्त्रीय ज्ञान भर रहे हैं, कितनी सरल और सरस भाषा में समस्त ग्रन्थों को मथ कर उसका सार अनेक प्रकार के उपायों द्वारा जन साधारण तक पहुँचा रहे हैं। इसका वर्णन करना कठिन ही नहीं असम्भव ही है। 

श्रवण, कीर्तन, स्मरण, तीन प्रकार की भक्ति द्वारा भगवद्बहिर्मुख जीवों को उनकी अतिशय दीन दशा से निवृत्त करके श्रीकृष्ण सन्मुख करने वाले दिव्य-प्रेम प्रदाता गुरु वर के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम।

जय हो जय हो सद्गुरु सरकार बलिहार बलिहार।
तू तो करुणा को भंडार, बलिहार बलिहार।
तू तो कृपा रूप साकार, बलिहार बलिहार।
तू तो नित कर पर उपकार, बलिहार बलिहार।
तू तो दिव्य ज्ञान दातार, बलिहार बलिहार।
तू तो दिव्य प्रेम दातार, बलिहार बलिहार।

Adhyatma Sandesh - Guru Poornima 2007
in stock INR 60
1 1

आध्यात्म सन्देश - गुरुपूर्णिमा 2007 - हिन्दी

भाषा - हिन्दी

₹60
₹100   (40%छूट)


SHARE PRODUCT
प्रकार विक्रेता मूल्य मात्रा

विवरण

गुरु -पूर्णिमा के पावन-पर्व पर सभी पाठकों को हार्दिक बधाई।

अकारण करुणा के मूर्तिमान स्वरूप कृपालु गुरु देव के पादपद्मों में कोटि-कोटि प्रणाम।

शब्दों की गति नहीं है उनकी महिमा का गान करने में। अवर्णनीय है उनकी कृपा। विश्व के कोने-कोने में स्वयं जाकर ब्रजरस की वर्षा कर रहे हैं। किस प्रकार से वे कलियुग में मन्दातिमन्द जीवों के मस्तिष्क में गूढ़ शास्त्रीय ज्ञान भर रहे हैं, कितनी सरल और सरस भाषा में समस्त ग्रन्थों को मथ कर उसका सार अनेक प्रकार के उपायों द्वारा जन साधारण तक पहुँचा रहे हैं। इसका वर्णन करना कठिन ही नहीं असम्भव ही है। 

श्रवण, कीर्तन, स्मरण, तीन प्रकार की भक्ति द्वारा भगवद्बहिर्मुख जीवों को उनकी अतिशय दीन दशा से निवृत्त करके श्रीकृष्ण सन्मुख करने वाले दिव्य-प्रेम प्रदाता गुरु वर के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम।

जय हो जय हो सद्गुरु सरकार बलिहार बलिहार।
तू तो करुणा को भंडार, बलिहार बलिहार।
तू तो कृपा रूप साकार, बलिहार बलिहार।
तू तो नित कर पर उपकार, बलिहार बलिहार।
तू तो दिव्य ज्ञान दातार, बलिहार बलिहार।
तू तो दिव्य प्रेम दातार, बलिहार बलिहार।

विशेष विवरण

भाषा हिन्दी
शैली / रचना-पद्धति आध्यात्मिक पत्रिका
फॉर्मेट पत्रिका
लेखक परम पूज्या डॉ श्यामा त्रिपाठी
प्रकाशक राधा गोविंद समिति
आकार 21.5 सेमी X 28 सेमी X 0.4 सेमी

पाठकों के रिव्यू

  0/5