होली के पावन पर्व पर भक्ति -धाम में सभी भक्तों का हार्दिक अभिनन्दन।
अनन्त गुणगणनिलय आनन्दकन्द सच्चिदानन्द भगवान् नित्य नवीन लीलाओं द्वारा भक्तों को आनन्दित करते रहते हैं। अनन्त ब्रह्माण्डों में अनन्त लीला करते हुये विभिन्न रूपों में अवतार लेते हैं। जिससे उनके नाम, रूप, लीला, गुण, धाम जन का अवलम्ब लेकर जीव उनके शरणागत होकर उनके दिव्यातिदिव्य मधुर रस का पान कर सके और दिव्यानन्द प्राप्त कर सके। उनके सभी अवतार पूर्ण हैं कोई भी छोटा बड़ा नहीं है। आवश्यकतानुसार अपनी शक्तियों का विभिन्न अवतारों में प्राकट्य करते हैं।
किन्तु जितने भी अवतार हुए हैं या हो रहे हैं सबके आधार श्रीकृष्ण ही हैं। वे अवतारी है। स्वयं श्रीकृष्ण एक कल्प में एक बार आते हैं। यद्यपि साधना का आधार श्रीकृष्ण रूप माधुरी, लीला माधुरी, प्रेम माधुरी एवं वेणु माधुरी ही है किन्तु स्थानाभाव के कारण इन सबका विस्तार किसी और अंक में किया जायेगा। वर्तमान होली अंक में कुछ अवतारों का संक्षिप्त निरूपण किया गया है।
Sadhan Sadhya - Holi 2011प्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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होली के पावन पर्व पर भक्ति -धाम में सभी भक्तों का हार्दिक अभिनन्दन।
अनन्त गुणगणनिलय आनन्दकन्द सच्चिदानन्द भगवान् नित्य नवीन लीलाओं द्वारा भक्तों को आनन्दित करते रहते हैं। अनन्त ब्रह्माण्डों में अनन्त लीला करते हुये विभिन्न रूपों में अवतार लेते हैं। जिससे उनके नाम, रूप, लीला, गुण, धाम जन का अवलम्ब लेकर जीव उनके शरणागत होकर उनके दिव्यातिदिव्य मधुर रस का पान कर सके और दिव्यानन्द प्राप्त कर सके। उनके सभी अवतार पूर्ण हैं कोई भी छोटा बड़ा नहीं है। आवश्यकतानुसार अपनी शक्तियों का विभिन्न अवतारों में प्राकट्य करते हैं।
किन्तु जितने भी अवतार हुए हैं या हो रहे हैं सबके आधार श्रीकृष्ण ही हैं। वे अवतारी है। स्वयं श्रीकृष्ण एक कल्प में एक बार आते हैं। यद्यपि साधना का आधार श्रीकृष्ण रूप माधुरी, लीला माधुरी, प्रेम माधुरी एवं वेणु माधुरी ही है किन्तु स्थानाभाव के कारण इन सबका विस्तार किसी और अंक में किया जायेगा। वर्तमान होली अंक में कुछ अवतारों का संक्षिप्त निरूपण किया गया है।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | आध्यात्मिक पत्रिका |
फॉर्मेट | पत्रिका |
लेखक | परम पूज्या डॉ श्यामा त्रिपाठी |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
आकार | 21.5 सेमी X 28 सेमी X 0.4 सेमी |