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61c0811d63299c920b7ffdb7 Sadhan Sadhya - Hindi - Guru Poornima 2011 https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/61c1c11fa3a944ac3d5a1e00/gp11.jpg

श्री गुरुवर के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम करते हुए सभी साधकों को गुरु-पूर्णिमा की हार्दिक बधाई। 

हम सभी साधकों के लिये गुरु पूर्णिमा पर्व विशेष महत्त्वपूर्ण है। यद्यपि कृपालु गुरुदेव तो सदैव ही कृपा की वर्षा करते रहते हैं। स्वयं ब्रज रस में डूबे हुये हम सबको भी बरबस ब्रजरस में सराबोर करना उनका स्वभाव है तथापि गुरु पूर्णिमा पर सभी साधक गुरुवर के दर्शन करना चाहते हैं। गुरु-पूर्णिमा मनाने से तात्पर्य यही है कि गुरु चरणों में पूर्ण प्रपत्ति हो तथा हम सब आत्मनिरीक्षण करें, पिछली गुरु-पूर्णिमा से अब की गुरु-पूर्णिमा तक हम आगे बढ़े या नहीं? किसी के कड़ुवे वाक्य बुरा लगना कम हुआ, निन्दा का असर कम होने लगा, क्रोध कम होने लगा? नहीं हुआ तो फिर हमने क्या किया साल भर? और ऐसे ही लापरवाही करते रहेंगे, और फिर मर जायेंगे। और फिर ये भी क्या ठिकाना है, हम कुछ दिन रहेंगे ही। ये तो क्षणिक है, शरीर। किस क्षण में क्या हो, कोई नहीं कह सकता, इसलिए सावधान रहना है, निरन्तर हरि गुरु चिन्तन करना है। ऐसा सहज सनेही सच्चा सद्गुरु जो शास्त्राें वेदों का चल स्वरूप है, श्री राधाकृष्ण भक्ति का मूर्तिमान स्वरूप है, अकारण करुणा का मूर्त स्वरूप है, जिसका तन, मन सब कृपा का ही बना है, ऐसे सद्गुरु सरकार का मार्गदर्शन पाकर अपने सौभाग्य पर बलिहार जाते हुए गुरुवर के शास्त्रों के सारांश स्वरूप प्रमुख उपदेश-

हरि गुरु भजु नित गोविन्द राधे।
भाव निष्काम अनन्य बना दे॥

का शतश: पालन करने का संकल्प लें। गुरु चरणों में कोटि कोटि प्रणाम।

Sadhan Sadhya - Guru Poornima 2011
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Sadhan Sadhya - Hindi - Guru Poornima 2011

Language - Hindi

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Description

श्री गुरुवर के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम करते हुए सभी साधकों को गुरु-पूर्णिमा की हार्दिक बधाई। 

हम सभी साधकों के लिये गुरु पूर्णिमा पर्व विशेष महत्त्वपूर्ण है। यद्यपि कृपालु गुरुदेव तो सदैव ही कृपा की वर्षा करते रहते हैं। स्वयं ब्रज रस में डूबे हुये हम सबको भी बरबस ब्रजरस में सराबोर करना उनका स्वभाव है तथापि गुरु पूर्णिमा पर सभी साधक गुरुवर के दर्शन करना चाहते हैं। गुरु-पूर्णिमा मनाने से तात्पर्य यही है कि गुरु चरणों में पूर्ण प्रपत्ति हो तथा हम सब आत्मनिरीक्षण करें, पिछली गुरु-पूर्णिमा से अब की गुरु-पूर्णिमा तक हम आगे बढ़े या नहीं? किसी के कड़ुवे वाक्य बुरा लगना कम हुआ, निन्दा का असर कम होने लगा, क्रोध कम होने लगा? नहीं हुआ तो फिर हमने क्या किया साल भर? और ऐसे ही लापरवाही करते रहेंगे, और फिर मर जायेंगे। और फिर ये भी क्या ठिकाना है, हम कुछ दिन रहेंगे ही। ये तो क्षणिक है, शरीर। किस क्षण में क्या हो, कोई नहीं कह सकता, इसलिए सावधान रहना है, निरन्तर हरि गुरु चिन्तन करना है। ऐसा सहज सनेही सच्चा सद्गुरु जो शास्त्राें वेदों का चल स्वरूप है, श्री राधाकृष्ण भक्ति का मूर्तिमान स्वरूप है, अकारण करुणा का मूर्त स्वरूप है, जिसका तन, मन सब कृपा का ही बना है, ऐसे सद्गुरु सरकार का मार्गदर्शन पाकर अपने सौभाग्य पर बलिहार जाते हुए गुरुवर के शास्त्रों के सारांश स्वरूप प्रमुख उपदेश-

हरि गुरु भजु नित गोविन्द राधे।
भाव निष्काम अनन्य बना दे॥

का शतश: पालन करने का संकल्प लें। गुरु चरणों में कोटि कोटि प्रणाम।

Specifications

Language Hindi
Genre Spiritual Magazine
Format Magazine
Author HH Dr Shyama Tripathi
Publisher Radha Govind Samiti
Dimension 21.5cm X 28cm X 0.4cm

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