भगवान् शिव से हम रोकर श्रीकृष्ण के दर्शन और उनकी सेवा माँगें
आप सभी को 'महाशिवरात्रि' की बहुत सारी शुभकामनायें. आइये इस पावन अवसर पर जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज के श्रीमुखारविन्द से निःसृत प्रवचन का भावपूर्वक पठन करें. आचार्यश्री की वाणी में,
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय।
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय॥
धरे गोपिका भेष महेश, कृष्ण प्रेम दे दो लवलेश।
तुम्हरी कृपा कोर लवलेश, हौंहूँ पइहौं रास प्रवेश।
वेद में बताया गया है,
एको हि रुद्रो न द्वितीयाय तस्थुर्य ईमॉल्लोकानीशत इशनीभिः । (श्वेताश्वतरोपनिषद 3-2)
सुप्रीम पॉवर हैं भगवान् शिव, उनकी अनंत शक्तियाँ हैं. विश्व का प्राकट्य, विश्व की रक्षा, विश्व का प्रलय उन सब शक्तियों से वे करते हैं. एक अवतार काल में ऐसा भी हुआ है कि शंकर जी श्री राधा बने हैं और पार्वती जी श्रीकृष्ण बनी हैं. कभी वो श्रीकृष्ण की भक्ति करते हैं, कभी श्रीराम, श्रीकृष्ण उनकी भक्ति करते हैं. तो ये तो लीलाक्षेत्र के नाटक हैं. स्वयं दो बन जाते हैं.
स इममेवात्मानं द्वेधापातयत् । ततः पतिश्च पत्नी चाभवताम् ।
अपने आपको दो बना देते हैं शंकर पार्वती. और फिर विवाह की एक्टिंग करते हैं. शंकर पार्वती का ब्याह होता है. तो अपने आपसे ब्याह करते हैं. महाशिवरात्रि शंकर पार्वती के विवाह का ही दिन है.
तो वे भगवान् शंकर जो सबसे बड़ा भगवान् का रस है, महारास में भी गए. और लीला की दृष्टि से पार्वती तो पहले ही पहुँच गईं थी रास में क्योंकि वो तो स्त्री शरीर है. महारास में तो सब स्त्री शरीर वाले गए थे. जो पुरुष थे पूर्व जन्म के अग्नि के पुत्र, दण्डकारण्य के परमहंस वगैरह वो सब स्त्री बन कर गए थे.
शंकर जी पुरुष बनकर गए तो गोपी ने रोक दिया. कौन हो तुम? मैं शंकर हूँ. कौन शंकर? कहाँ का शंकर? शंकर जी चौंक गए. ये गोपी डाँट रही है हमको. बता दिया कि उन्होंने कि मैं चतुर्मुखी ब्रह्मा के ब्रह्मांड का मैं गवर्नर हूँ शंकर. उन्होंने कहा अंदर कोई पुरुष नहीं जा सकता. एक पुरुष रहेगा श्रीकृष्ण. उन्होंने कहा ठीक है स्त्री बन जाता हूँ. स्त्री बनकर गए. गोपी बन करके. तो पार्वती जी को हँसी आ गई. बड़े पुरुष बनते थे, आज तक दाल नहीं गली. स्त्री बनना पड़ा. भागवत् में तीन चार बातों में एक श्लोक कहा गया है -
निम्नगानां यथा गङ्गा देवानामच्युतो यथा ।
वैष्णवानां यथा शंभुः पुराणानामिदं तथा ।।
(भागवत् 12-13-16)
जैसे समस्त भक्तों में श्रीकृष्ण के भक्तों में शंकर जी टॉप करते हैं. 'पुराणानामिदं तथा' ऐसे सब पुराणों में भागवत टॉप करती है. तो सब वैष्णवों में टॉप करने वाले भगवान् शंकर हैं. महारास में गोपी बने थे. तो शंकर जी गोपी प्रेम पाये हुये हैं महारास में. उनसे यही प्रार्थना करना है कि हमको भी श्रीकृष्ण प्रेम दिला दो तो तुम्हारे साथ हम भी रास रस लें. श्रीकृष्ण के रास में जैसे तुम गोपी बनते हो ऐसे ही तुम्हारे बगल में हम भी खड़े हो जायें. ऐसी कृपा कर दो, भोलेनाथ !!!
ॐ नमः शिवाय.. ॐ नमः शिवाय । ॐ नमः शिवाय.. ॐ नमः शिवाय ।।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
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