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619c91679b2efd2adf9b6c5a युगल रस - हिन्दी https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/6558624b3b59e651144bb8b6/yugal-ras.jpg

जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के अनुसार जीव का चरम लक्ष्य श्री कृष्ण का माधुर्य भाव युक्त निष्काम प्रेम प्राप्ति है तदर्थ श्रवण, कीर्तन और स्मरण तीन प्रकार की भक्ति का अभ्यास करना है। इन तीनों साधनों में भी स्मरण प्रमुख है। अतएव आचार्य श्री येन केन प्रकारेण तत्वज्ञान साधकों के मस्तिष्क में भरने के लिए परमव्याकुल रहते हैं जिससे उनकी प्रेम पिपासा उत्तरोत्तर तीव्र तीव्रतर तीव्रतम हो जाय। एतदर्थ नित्य नवीन नवीन रचनाओं की अमूल्य निधि देकर आचार्य श्री दुर्लभ युगल रस का वितरण कर रहे हैं।

पुस्तक ‘युगल-रस’ में १०० पदों का संकलन किया गया है। दिव्य प्रेम से ओतप्रोत पदों में भक्ति संबंधी शास्त्रीय सिद्धांतों का निरूपण अत्यधिक सरस और रोचक है, सर्वसाधारण के लिये ग्राह्य है। इसके अतिरिक्त दैन्य, शृंगार और लीला संबंधी पद भी हैं।

पाठक पढ़ने के बाद स्वयं ही अनुभव करेंगे कि वह ऐसे फल का आस्वादन कर रहे हैं जिसमें न गुठली है, न गूदा है। बस, रस ही रस है, पीने वाला होना चाहिये।

Yugal Ras - Hindi
in stockUSD 218
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युगल रस - हिन्दी

युगल रस - हिन्दी

श्री राधाकृष्ण की मधुरातिमधुर लीलाओं से युक्त अनोखे कीर्तनों का संग्रह।
भाषा - हिन्दी

$2.61
$4.19   (38%छूट)


विशेषताएं
  • जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा रचित 100 संकीर्तनों का समावेश जिसमें श्री राधा कृष्ण की मधुर दिव्य लीलाओं का सुन्दर वर्णन
  • सं​क्षिप्त व्याख्या सहित प्रत्येक कीर्तन रूपध्यान हेतु सहायक
  • श्रीकृष्ण की मैया यशोदा, ग्वालबाल, राधारानी और उनकी सखियों के साथ मनभावन चंचलता का सुंदर वर्णन
  • साधकों के हृदय में भक्ति का अंकुर प्रस्फुटित करने वाले सरल एवं सरस भजन
  • वेदों-शास्त्रों के गूढ़ सिद्धान्त अनुपम रूप में प्रकटित करने वाले संकीर्तन
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प्रकारविक्रेतामूल्यमात्रा

विवरण

जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के अनुसार जीव का चरम लक्ष्य श्री कृष्ण का माधुर्य भाव युक्त निष्काम प्रेम प्राप्ति है तदर्थ श्रवण, कीर्तन और स्मरण तीन प्रकार की भक्ति का अभ्यास करना है। इन तीनों साधनों में भी स्मरण प्रमुख है। अतएव आचार्य श्री येन केन प्रकारेण तत्वज्ञान साधकों के मस्तिष्क में भरने के लिए परमव्याकुल रहते हैं जिससे उनकी प्रेम पिपासा उत्तरोत्तर तीव्र तीव्रतर तीव्रतम हो जाय। एतदर्थ नित्य नवीन नवीन रचनाओं की अमूल्य निधि देकर आचार्य श्री दुर्लभ युगल रस का वितरण कर रहे हैं।

पुस्तक ‘युगल-रस’ में १०० पदों का संकलन किया गया है। दिव्य प्रेम से ओतप्रोत पदों में भक्ति संबंधी शास्त्रीय सिद्धांतों का निरूपण अत्यधिक सरस और रोचक है, सर्वसाधारण के लिये ग्राह्य है। इसके अतिरिक्त दैन्य, शृंगार और लीला संबंधी पद भी हैं।

पाठक पढ़ने के बाद स्वयं ही अनुभव करेंगे कि वह ऐसे फल का आस्वादन कर रहे हैं जिसमें न गुठली है, न गूदा है। बस, रस ही रस है, पीने वाला होना चाहिये।

विशेष विवरण

भाषाहिन्दी
शैली / रचना-पद्धतिसंकीर्तन
विषयवस्तुसर्वोत्कृष्ट रचना, भक्ति गीत और भजन, तत्वज्ञान, रूपध्यान
फॉर्मेटपेपरबैक
वर्गीकरणप्रमुख रचना
लेखकजगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
प्रकाशकराधा गोविंद समिति
पृष्ठों की संख्या196
वजन (ग्राम)326
आकार14 सेमी X 22 सेमी X 1.5 सेमी

पाठकों के रिव्यू

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This book is divine! The sankirtan are written with the best poetry ever, very devotional when chanted. The first bhajans give knowledge to understand the lilas of Yugal Sarkar, and then the lilas described are unique. Thank you
Matteo
Aug 27, 2023 3:55:01 PM
This book is treasure of yugal ras and best for roopdhyan.
प्रमाणित उपयोगकर्ता
Mar 1, 2023 5:13:30 PM