G-12, G-14, Plot No-4 CSC, HAF Sector-10, Dwarka 110075 New Delhi IN
जे के पी लिटरेचर
G-12, G-14, Plot No-4 CSC, HAF Sector-10, Dwarka New Delhi, IN
+918588825815 https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/621dbb04d3485f1d5934ef35/logo-18-480x480.png" [email protected]
6505a09c6071d63f5d601241 श्री राधा बाल-लीला माधुरी: 8वाँ अध्याय-प्रेम रस मदिरा - ईबुक हिन्दी https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/6505a09d6071d63f5d601269/8.jpg बरसाना में राजा वृषभानु के दरबार में उनके दिव्य प्राकट्य से लेकर कीर्ति मैयां से अति मधुर एवं भोली शिकायतों तक, जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज ने श्री राधा रानी के बालस्वरूप का अत्यंत सुन्दर वर्णन किया है। ये भोरी भारी नन्हीं सी राधिका, जो तोतली भाषा में अपनी मैया से हठ कर रहीं हैं एवं घुटनों के बल चल रहीं हैं, वही हैं जो स्वयं सौंदर्य का आधार और परमानंद की दात्री हैं, जो भगवान श्रीकृष्ण को भी रस प्रदान करतीं हैं। भक्ति के इस महान संग्रह / महान निधि, 'प्रेम रस मदिरा' का यह आठवां अध्याय है। 'प्रेम रस मदिरा' के दिव्य अद्वितीय 1008 भक्ति से परिपूर्ण पद वेदों, पुराणों, उपनिषदों आदि के सिद्धांतों पर आधारित हैं। PRM Hindi ebook Ch 8
in stockUSD 200
1 1
श्री राधा बाल-लीला माधुरी: 8वाँ अध्याय-प्रेम रस मदिरा - ईबुक हिन्दी

श्री राधा बाल-लीला माधुरी: 8वाँ अध्याय-प्रेम रस मदिरा - ईबुक हिन्दी

भाषा - हिन्दी



SHARE PRODUCT
प्रकारविक्रेतामूल्यमात्रा

विवरण

बरसाना में राजा वृषभानु के दरबार में उनके दिव्य प्राकट्य से लेकर कीर्ति मैयां से अति मधुर एवं भोली शिकायतों तक, जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज ने श्री राधा रानी के बालस्वरूप का अत्यंत सुन्दर वर्णन किया है। ये भोरी भारी नन्हीं सी राधिका, जो तोतली भाषा में अपनी मैया से हठ कर रहीं हैं एवं घुटनों के बल चल रहीं हैं, वही हैं जो स्वयं सौंदर्य का आधार और परमानंद की दात्री हैं, जो भगवान श्रीकृष्ण को भी रस प्रदान करतीं हैं। भक्ति के इस महान संग्रह / महान निधि, 'प्रेम रस मदिरा' का यह आठवां अध्याय है। 'प्रेम रस मदिरा' के दिव्य अद्वितीय 1008 भक्ति से परिपूर्ण पद वेदों, पुराणों, उपनिषदों आदि के सिद्धांतों पर आधारित हैं।

विशेष विवरण

भाषाहिन्दी
शैली / रचना-पद्धतिसंकीर्तन
फॉर्मेटईबुक
वर्गीकरणप्रमुख रचना
लेखकजगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
प्रकाशकराधा गोविंद समिति

पाठकों के रिव्यू

  0/5