G-12, G-14, Plot No-4 CSC, HAF Sector-10, Dwarka 110075 New Delhi IN
जे के पी लिटरेचर
G-12, G-14, Plot No-4 CSC, HAF Sector-10, Dwarka New Delhi, IN
+918588825815 https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/621dbb04d3485f1d5934ef35/logo-18-480x480.png" [email protected]
9789380661315 619c9189892eba37bca1467e संकीर्तन सरगम ​​ - हिन्दी https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/619cf6c4a6b3f44453d873d5/017-standing-hardcover-psd-mockup-covervault.jpg

ब्रजरस से ओतप्रोत जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज का साहित्य आध्यात्मिक जगत् की एक अमूल्य निधि है। जो भी साहित्य उनके द्वारा प्रकट किया गया है वह अनूठा ही है। उसमें अलंकार सौष्ठव, माधुर्य और सौरस्य का ऐसा सामंजस्य है कि पत्थर से पत्थर हृदय भी पिघलकर श्री श्यामा-श्याम के दिव्य प्रेम रस में निमज्जित हो जाता है एवं मन-मयूर श्याम घन स्वरूप घनश्याम-मिलन के लिए विभोर हो नृत्य करने लगता है।

उपर्युक्त साहित्य की प्रमुख विशेषता यह है कि सम्पूर्ण पदावलि संगीतात्मक है। इसको पढ़ने के बाद दिव्य प्रेम रस का समुद्र स्वाभाविक रूप से उमड़ पड़ता है, हृदय प्रेम रस में सराबोर हो जाता है एवं श्यामा-श्याम-चरणों में सहज अनुराग हो जाता है।

संकीर्तन सरगम की साधक बहुत दिन से प्रतीक्षा कर रहे थे। यह पुस्तक नि:सन्देह भक्तियोग की क्रियात्मक साधना में अत्यधिक सहायक सिद्ध होगी क्योंकि गायन के साथ साथ किसी वाद्य-विशेष का उपयोग हृदय तंत्री के तारों को सुगमता से झंकृत कर, श्यामा-श्याम मिलन की लालसा बढ़ाता है; हृदय सरलता से द्रवित हो जाता है। यही भक्ति का आधार है। अत: साधकों को साधना में अवश्य अवश्य लाभ होगा।

इसी उद्देश्य से यह पुस्तक प्रकाशित की जा रही है।

Sankirtan Sargam - Hindi
in stockINR 274
1 1
संकीर्तन सरगम ​​ - हिन्दी

संकीर्तन सरगम ​​ - हिन्दी

जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज की रचनाओं का स्वरलिपि बद्ध निरूपण
भाषा - हिन्दी

₹274
₹500   (45%छूट)


विशेषताएं
  • अब जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के सुमधुर कीर्तनों को गाना एवं हारमोनियम पर बजाना हुआ बहुत आसान आज ही order करें संकीर्तन सरगम।
  • सभी कीर्तनों की सरगम आसानी से उपलब्ध, आज ही खरीदें और अपनी साधना को आगे बढ़ायें।
  • एक ही तर्ज पर कई कीर्तनों को बजाना सीखे आसान सरगम के माध्यम से।
  • श्री महाराज के दिव्य कीर्तनों की धुन को आज ही जानिये संकीर्तन सरगम से।
  • एकांत साधना में उपयोगी स्वयं कीर्तन को गाना एवं बजाना सीखे संकीर्तन सरगम से।
SHARE PRODUCT
प्रकारविक्रेतामूल्यमात्रा

विवरण

ब्रजरस से ओतप्रोत जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज का साहित्य आध्यात्मिक जगत् की एक अमूल्य निधि है। जो भी साहित्य उनके द्वारा प्रकट किया गया है वह अनूठा ही है। उसमें अलंकार सौष्ठव, माधुर्य और सौरस्य का ऐसा सामंजस्य है कि पत्थर से पत्थर हृदय भी पिघलकर श्री श्यामा-श्याम के दिव्य प्रेम रस में निमज्जित हो जाता है एवं मन-मयूर श्याम घन स्वरूप घनश्याम-मिलन के लिए विभोर हो नृत्य करने लगता है।

उपर्युक्त साहित्य की प्रमुख विशेषता यह है कि सम्पूर्ण पदावलि संगीतात्मक है। इसको पढ़ने के बाद दिव्य प्रेम रस का समुद्र स्वाभाविक रूप से उमड़ पड़ता है, हृदय प्रेम रस में सराबोर हो जाता है एवं श्यामा-श्याम-चरणों में सहज अनुराग हो जाता है।

संकीर्तन सरगम की साधक बहुत दिन से प्रतीक्षा कर रहे थे। यह पुस्तक नि:सन्देह भक्तियोग की क्रियात्मक साधना में अत्यधिक सहायक सिद्ध होगी क्योंकि गायन के साथ साथ किसी वाद्य-विशेष का उपयोग हृदय तंत्री के तारों को सुगमता से झंकृत कर, श्यामा-श्याम मिलन की लालसा बढ़ाता है; हृदय सरलता से द्रवित हो जाता है। यही भक्ति का आधार है। अत: साधकों को साधना में अवश्य अवश्य लाभ होगा।

इसी उद्देश्य से यह पुस्तक प्रकाशित की जा रही है।

विशेष विवरण

भाषाहिन्दी
शैली / रचना-पद्धतिसंकीर्तन
विषयवस्तुभक्ति गीत और भजन, तत्वज्ञान
फॉर्मेटहार्डकवर
वर्गीकरणसंकीर्तन
लेखकजगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
प्रकाशकराधा गोविंद समिति
पृष्ठों की संख्या252
वजन (ग्राम)397
आकार15 सेमी X 23 सेमी X 2 सेमी
आई.एस.बी.एन.9789380661315

पाठकों के रिव्यू

  0/5