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9789380661865 619c917d94ad94390275991c हरि गुरु स्मरण - हिन्दी https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/638485abc51ed47326b233cf/hari-guru-smaran.jpg

हरि गुरु भजु नित गोविन्द राधे।
भाव निष्काम अनन्य बना दे॥

इस दोहे में श्री महाराज जी ने समस्त शास्त्रों वेदों का सार भर दिया है। इसकी व्याख्या उन्होंने अनेक बार नये नये ढंग से की है, जिससे हर साधक इसमें छिपे गूढ़ भावार्थ को आत्मसात करके उसका पालन कर सके। प्रस्तुत पुस्तक में उनके द्वारा की गई इस दोहे की व्याख्याओं को संकलित किया गया है। अतः पुस्तक का नाम, ‘दैनिक चिन्तन’ दिया गया है। व्याख्याओं को इस प्रकार से व्यवस्थित किया गया है कि आप अपनी साप्ताहिक दिनचर्या निर्धारित कर सकते हैं रविवार से प्रारम्भ कीजिये और निश्चय कीजिये सोमवार, मंगलवार... प्रत्येक दिन श्री महाराज जी की दिव्य वाणी का अनुसरण करते हुए दिन व्यतीत करेंगे। साथ ही मानव देह की क्षणभंगुरता से सम्बन्धित दोहों की व्याख्या भी संकलित की गई है।

इस पक्ष को भी श्री महाराज जी ने पुनः पुनः प्रकाशित किया है। जिससे साधक साधना में लापरवाही न करके, तेजी से आगे बढ़ने का प्रयास करें यह सोचकर कि अगला क्षण मिले या न मिले।

प्रत्येक साधक के लिए इसका पठन और मनन परमावश्यक है। श्री महाराज जी ने भी यही निर्देश दिया है कि सब लोग इस दोहे को रट लो। ‘इस दोहे में मैनें अपनी सारी फिलॉसफी रख दी है।’

Hari Guru Smaran - Hindi
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हरि गुरु स्मरण - हिन्दी

हरि गुरु स्मरण - हिन्दी

जानिये हरि-गुरु की नित्य भक्ति करने का गुरु मंत्र।
भाषा - हिन्दी

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विशेषताएं
  • अनन्यता, शरणागति एवं निष्काम सेवा की विस्तृत व्याख्या।
  • हर रोज दिन का आरंभ करें तत्त्वज्ञान के एक नये अध्याय के साथ।
  • मानव देह की क्षणभंगुरता पर विचार करते हुए छोटे से अध्याय में समस्त तत्त्वज्ञान।
  • वेदों, शास्त्रों के सम्पूर्ण ज्ञान का सार सारगर्भित 35 अध्यायों में।
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प्रकारविक्रेतामूल्यमात्रा

विवरण

हरि गुरु भजु नित गोविन्द राधे।
भाव निष्काम अनन्य बना दे॥

इस दोहे में श्री महाराज जी ने समस्त शास्त्रों वेदों का सार भर दिया है। इसकी व्याख्या उन्होंने अनेक बार नये नये ढंग से की है, जिससे हर साधक इसमें छिपे गूढ़ भावार्थ को आत्मसात करके उसका पालन कर सके। प्रस्तुत पुस्तक में उनके द्वारा की गई इस दोहे की व्याख्याओं को संकलित किया गया है। अतः पुस्तक का नाम, ‘दैनिक चिन्तन’ दिया गया है। व्याख्याओं को इस प्रकार से व्यवस्थित किया गया है कि आप अपनी साप्ताहिक दिनचर्या निर्धारित कर सकते हैं रविवार से प्रारम्भ कीजिये और निश्चय कीजिये सोमवार, मंगलवार... प्रत्येक दिन श्री महाराज जी की दिव्य वाणी का अनुसरण करते हुए दिन व्यतीत करेंगे। साथ ही मानव देह की क्षणभंगुरता से सम्बन्धित दोहों की व्याख्या भी संकलित की गई है।

इस पक्ष को भी श्री महाराज जी ने पुनः पुनः प्रकाशित किया है। जिससे साधक साधना में लापरवाही न करके, तेजी से आगे बढ़ने का प्रयास करें यह सोचकर कि अगला क्षण मिले या न मिले।

प्रत्येक साधक के लिए इसका पठन और मनन परमावश्यक है। श्री महाराज जी ने भी यही निर्देश दिया है कि सब लोग इस दोहे को रट लो। ‘इस दोहे में मैनें अपनी सारी फिलॉसफी रख दी है।’

विशेष विवरण

भाषाहिन्दी
शैली / रचना-पद्धतिसिद्धांत
विषयवस्तुगुरु - सच्चा आध्यात्मिक पथ प्रदर्शक, तत्वज्ञान, अभ्यास की शक्ति
फॉर्मेटपेपरबैक
वर्गीकरणसंकलन
लेखकजगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
प्रकाशकराधा गोविंद समिति
पृष्ठों की संख्या208
वजन (ग्राम)321
आकार14 सेमी X 22 सेमी X 1.5 सेमी
आई.एस.बी.एन.9789380661865

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