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9788194589617 61cedb04acc020e79ed9cc8c आत्मनिरीक्षण ईबुक - हिन्दी https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/61cf0bbb1c98a495732c8658/10.jpg

जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज जिन्होंने शास्त्रीय सिद्धांतों को अत्यधिक सरल सरस भाषा में प्रवचनों के माध्यम से ही नहीं, अपितु अनेक प्रकार से जन-जन तक पहुँचाकर अपना सम्पूर्ण जीवन जीव कल्याणार्थ समर्पित किया।

चलते फिरते, उठते बैठते हर समय उनको एक ही चिन्ता रहती थी कि किस प्रकार हर किसी को अध्यात्म पथ पर आगे बढ़ायें। कभी प्यार दुलार से समझाकर, तो कभी गुस्सा दिखाकर साधकों को सचेत करते रहते थे। समय समय पर उन्होंने किस प्रकार से हमें हमारे दोषों को बताकर सावधान किया है। इस पुस्तक में प्रकाशित किया जा रहा है। हम अपने अन्दर झांके कि हम कहाँ है? हमारे कृपालु गुरुदेव ने हमारे साथ कितना परिश्रम किया कहीं वह व्यर्थ न चला जाय। इसलिए पुस्तक का नाम आत्मनिरीक्षण रखा जा रहा है। कृपया बार बार पढ़ें।

Atma Nirikshan - Hindi - Ebook
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Atma Nirikshan - Hindi - Ebook

आत्मनिरीक्षण ईबुक - हिन्दी

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प्रकारविक्रेतामूल्यमात्रा

विवरण

जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज जिन्होंने शास्त्रीय सिद्धांतों को अत्यधिक सरल सरस भाषा में प्रवचनों के माध्यम से ही नहीं, अपितु अनेक प्रकार से जन-जन तक पहुँचाकर अपना सम्पूर्ण जीवन जीव कल्याणार्थ समर्पित किया।

चलते फिरते, उठते बैठते हर समय उनको एक ही चिन्ता रहती थी कि किस प्रकार हर किसी को अध्यात्म पथ पर आगे बढ़ायें। कभी प्यार दुलार से समझाकर, तो कभी गुस्सा दिखाकर साधकों को सचेत करते रहते थे। समय समय पर उन्होंने किस प्रकार से हमें हमारे दोषों को बताकर सावधान किया है। इस पुस्तक में प्रकाशित किया जा रहा है। हम अपने अन्दर झांके कि हम कहाँ है? हमारे कृपालु गुरुदेव ने हमारे साथ कितना परिश्रम किया कहीं वह व्यर्थ न चला जाय। इसलिए पुस्तक का नाम आत्मनिरीक्षण रखा जा रहा है। कृपया बार बार पढ़ें।

विशेष विवरण

भाषाहिन्दी
शैली / रचना-पद्धतिसिद्धांत
फॉर्मेटईबुक
वर्गीकरणसंकलन
लेखकजगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
प्रकाशकराधा गोविंद समिति
आई.एस.बी.एन.9788194589617

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