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633a908b0b09277c5a22f5d1 जन्मशताब्दी विशेषांक और साधन साध्य - शरत्पूर्णिमा 2022 सेट (2 पुस्तकें) //d2pyicwmjx3wii.cloudfront.net/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/633a916b0b09277c5a235367/webp/special-issue-sadhansadhya-combo.jpg

शत शत नमन कोटि अभिवन्दन।
जय जय जय हे भगवती नन्दन ॥

सभी पाठकों को, सभी श्री गुरुवर के प्रियजनों को, सभी उनके प्रेमियों को, उनके सभी भक्तों को, उनको जन्म शताब्दी की हार्दिक बधाई। प्रस्तुत साधन साध्य पत्रिका प्रकाशित करना अत्यधिक कठिन कार्य था क्योंकि सौ वर्षों का स्वर्णिम इतिहास कुछ पन्नों में कैसे समेटा जा सकता है ? बस इतना ही कहा जा सकता है, 'न भूतो न भविष्यति'! उनके अनन्त उपकारों की श्रृंखला में सर्वश्रेष्ठ है श्री राधा नाम को विश्वव्यापी बनाना।

समुद्र की एक बूँद भी नहीं है यह पत्रिका। उनकी अनन्त गुणावली का गुणगान, उनके गुणों का कौन बखान कर सकता है ? उनके उपकारों को कोई कैसे गिना सकता है ?

जो आध्यात्मिक इतिहास में प्रथम बार हुआ है। उनके जैसा व्यक्तित्व इतिहास में पहली बार गुरु रूप में अवतरित हुआ। इसे भगवतत्त्व का ही अवतरण कहा जाय तो सिद्धान्ततः भी अनुपयुक्त न होगा और अनुभवात्मक रूप से भी जय जय कृपालु हे भगवान्। जय जय दयालु कृपानिधान।

प्रिया या प्रियतम के प्रेमरस रसिक प्रिय गुरुवर, जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की प्रेममयी लीलाओं को पढ़ने और सुनने के लिए हर साधक, हर जिज्ञासु, हर दर्शनार्थी लालायित रहता है।

अलौकिक है उनका चरित्र, अकथनीय है उनकी कथा और अवर्णनीय है उनकी गुणावली। कितना भी लिखा जाय, कितना भी पढ़ा जाय पाठक फिर भी प्यासा ही बना रहता है क्योंकि उनका चरित्र अलौकिक है, उनकी लीलायें नित्य नवायमान, प्रतिक्षण वर्धमान रस प्रदान करने वाली हैं। जगद्गुरूत्तम कार्यक्रम इतिहास यदि लिखा जाय, तो बहुत विशाल ग्रन्थ बन जायेगा, फिर भी अधूरा ही रहेगा। अत्यधिक संक्षेप में उनके अलौकिक चरित्र की स्वर्णिम गाथा एवं उनके द्वारा मानवोत्थान में योगदान के कुछ अंश लिखे जा रहे हैं।

अनन्त शुभकामनाओं सहित।

Janam-shatabdi+Sadhan Sadhya SP2022
in stockINR 400
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जन्मशताब्दी विशेषांक और साधन साध्य - शरत्पूर्णिमा 2022 सेट (2 पुस्तकें)

जन्मशताब्दी विशेषांक और साधन साध्य - शरत्पूर्णिमा 2022 सेट (2 पुस्तकें)

भाषा - हिन्दी

₹400
₹500   (20%छूट)


प्रकारविक्रेतामूल्यमात्रा

विवरण

शत शत नमन कोटि अभिवन्दन।
जय जय जय हे भगवती नन्दन ॥

सभी पाठकों को, सभी श्री गुरुवर के प्रियजनों को, सभी उनके प्रेमियों को, उनके सभी भक्तों को, उनको जन्म शताब्दी की हार्दिक बधाई। प्रस्तुत साधन साध्य पत्रिका प्रकाशित करना अत्यधिक कठिन कार्य था क्योंकि सौ वर्षों का स्वर्णिम इतिहास कुछ पन्नों में कैसे समेटा जा सकता है ? बस इतना ही कहा जा सकता है, 'न भूतो न भविष्यति'! उनके अनन्त उपकारों की श्रृंखला में सर्वश्रेष्ठ है श्री राधा नाम को विश्वव्यापी बनाना।

समुद्र की एक बूँद भी नहीं है यह पत्रिका। उनकी अनन्त गुणावली का गुणगान, उनके गुणों का कौन बखान कर सकता है ? उनके उपकारों को कोई कैसे गिना सकता है ?

जो आध्यात्मिक इतिहास में प्रथम बार हुआ है। उनके जैसा व्यक्तित्व इतिहास में पहली बार गुरु रूप में अवतरित हुआ। इसे भगवतत्त्व का ही अवतरण कहा जाय तो सिद्धान्ततः भी अनुपयुक्त न होगा और अनुभवात्मक रूप से भी जय जय कृपालु हे भगवान्। जय जय दयालु कृपानिधान।

प्रिया या प्रियतम के प्रेमरस रसिक प्रिय गुरुवर, जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की प्रेममयी लीलाओं को पढ़ने और सुनने के लिए हर साधक, हर जिज्ञासु, हर दर्शनार्थी लालायित रहता है।

अलौकिक है उनका चरित्र, अकथनीय है उनकी कथा और अवर्णनीय है उनकी गुणावली। कितना भी लिखा जाय, कितना भी पढ़ा जाय पाठक फिर भी प्यासा ही बना रहता है क्योंकि उनका चरित्र अलौकिक है, उनकी लीलायें नित्य नवायमान, प्रतिक्षण वर्धमान रस प्रदान करने वाली हैं। जगद्गुरूत्तम कार्यक्रम इतिहास यदि लिखा जाय, तो बहुत विशाल ग्रन्थ बन जायेगा, फिर भी अधूरा ही रहेगा। अत्यधिक संक्षेप में उनके अलौकिक चरित्र की स्वर्णिम गाथा एवं उनके द्वारा मानवोत्थान में योगदान के कुछ अंश लिखे जा रहे हैं।

अनन्त शुभकामनाओं सहित।

विशेष विवरण

भाषाहिन्दी
शैली / रचना-पद्धतिआध्यात्मिक पत्रिका
फॉर्मेटपत्रिका
लेखकराधा गोविंद समिति
प्रकाशकराधा गोविंद समिति
आकार21.5 सेमी X 28 सेमी X 0.4 सेमी

पाठकों के रिव्यू

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