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जे के पी लिटरेचर
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9789390373246 61f0217ee7ee1e2c42ec2991 भगवद् गीता ज्ञान - भक्त का कभी पतन नहीं होता - हिन्दी https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/61f02d2ef9467244d0510084/1gita-gyan-series-4.jpg

गीता का उदघोष

तुम लोग चिन्ता न करो। तुम्हारे योगक्षेम को 'मैं' वहन करूँगा, डायरेक्ट ‘मैं’। जो तुमको नहीं मिला है मटीरियल या स्पिरिचुअल, वह सब मैं दूँगा और जो मिला है, उसकी मैं रक्षा करूँगा - फिजिकल भी और स्पिरिचुअल दोनों।

गीता में भगवान् ने आश्वासन दिया है कि जिनका मन निरन्तर मुझमें लगा रहता है उनका योगक्षेम मैं वहन करता हूँ।

अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते। तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्॥ (गीता ९.२२)

मेरे भक्त का कभी पतन नहीं होता। इस सिद्धान्त से सम्बन्धित जगद्गुरु कृपालु जी महाराज द्वारा समय समय पर दिये गये प्रवचनों का संकलन किया गया है। शरणागति और भगवान् की अनन्य भक्ति यही गीता का प्रमुख का सिद्धान्त है। इस गूढ़ सिद्धान्त को आचार्य श्री ने इतनी सरल भाषा में प्रस्तुत किया है कि बिना पढ़ा लिखा गँवार भी समझ जाय।

Bhagavad Gita Jnana Bhakt Ka Vol 5 - Hindi
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भगवद् गीता ज्ञान - भक्त का कभी पतन नहीं होता - हिन्दी

भगवद् गीता ज्ञान - भक्त का कभी पतन नहीं होता - हिन्दी

भगवान् द्वारा भक्त के लिये प्रकट किये दिव्य उद्धगार
भाषा - हिन्दी

$1.02
$2.39   (57%छूट)


विशेषताएं
  • भगवान् कृष्ण का अपने भक्तों को किया हुआ वादा।
  • शरणागति का क्या मतलब है? हम भगवान् की ओर आसानी से कैसे बढ़ सकते हैं?
  • भक्त और भगवान् का आंतरिक रहस्य।
  • भगवान् भक्त का योगक्षेम वहन किस तरह करते हैं?
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प्रकारविक्रेतामूल्यमात्रा

विवरण

गीता का उदघोष

तुम लोग चिन्ता न करो। तुम्हारे योगक्षेम को 'मैं' वहन करूँगा, डायरेक्ट ‘मैं’। जो तुमको नहीं मिला है मटीरियल या स्पिरिचुअल, वह सब मैं दूँगा और जो मिला है, उसकी मैं रक्षा करूँगा - फिजिकल भी और स्पिरिचुअल दोनों।

गीता में भगवान् ने आश्वासन दिया है कि जिनका मन निरन्तर मुझमें लगा रहता है उनका योगक्षेम मैं वहन करता हूँ।

अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते। तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्॥ (गीता ९.२२)

मेरे भक्त का कभी पतन नहीं होता। इस सिद्धान्त से सम्बन्धित जगद्गुरु कृपालु जी महाराज द्वारा समय समय पर दिये गये प्रवचनों का संकलन किया गया है। शरणागति और भगवान् की अनन्य भक्ति यही गीता का प्रमुख का सिद्धान्त है। इस गूढ़ सिद्धान्त को आचार्य श्री ने इतनी सरल भाषा में प्रस्तुत किया है कि बिना पढ़ा लिखा गँवार भी समझ जाय।

विशेष विवरण

भाषाहिन्दी
शैली / रचना-पद्धतिसिद्धांत
विषयवस्तुतत्वज्ञान, गीता ज्ञान
फॉर्मेटपेपरबैक
वर्गीकरणसंकलन
लेखकजगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
प्रकाशकराधा गोविंद समिति
पृष्ठों की संख्या90
वजन (ग्राम)85
आकार18 सेमी X 12 सेमी X 0.8 सेमी
आई.एस.बी.एन.9789390373246

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