Your browser does not support JavaScript!

राधे राधे
G-12, G-14, Plot No-4 CSC, HAF Sector-10, Dwarka 110075 New Delhi IN
जे के पी लिटरेचर
G-12, G-14, Plot No-4 CSC, HAF Sector-10, Dwarka New Delhi, IN
+918588825815 //d2pyicwmjx3wii.cloudfront.net/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/621dbb04d3485f1d5934ef35/webp/logo-18-480x480.png" [email protected]
9789380661452 619c91750da9d22a7a6c6af9 आत्मनिरीक्षण //d2pyicwmjx3wii.cloudfront.net/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/619cfed81055d643ddcb9a8d/webp/aatma-nirikshan.jpg

जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज जिन्होंने शास्त्रीय सिद्धांतों को अत्यधिक सरल सरस भाषा में प्रवचनों के माध्यम से ही नहीं, अपितु अनेक प्रकार से जन-जन तक पहुँचाकर अपना सम्पूर्ण जीवन जीव कल्याणार्थ समर्पित किया।

चलते फिरते, उठते बैठते हर समय उनको एक ही चिन्ता रहती थी कि किस प्रकार हर किसी को अध्यात्म पथ पर आगे बढ़ायें। कभी प्यार दुलार से समझाकर, तो कभी गुस्सा दिखाकर साधकों को सचेत करते रहते थे। समय समय पर उन्होंने किस प्रकार से हमें हमारे दोषों को बताकर सावधान किया है। इस पुस्तक में प्रकाशित किया जा रहा है। हम अपने अन्दर झांके कि हम कहाँ है? हमारे कृपालु गुरुदेव ने हमारे साथ कितना परिश्रम किया कहीं वह व्यर्थ न चला जाय। इसलिए पुस्तक का नाम आत्मनिरीक्षण रखा जा रहा है। कृपया बार बार पढ़ें।

Atma Nirikshan - Hindi
in stock USD 40
1 1

आत्मनिरीक्षण

कैसे जानें हम कहाँ है?
भाषा - हिन्दी

$0.49
$0.73   (33%छूट)


विशेषताएं
  • आत्मनिरीक्षण क्यों आवश्यक है? प्रतिदिन आत्मनिरीक्षण से होने वाले लाभ को अवश्य जानिये।
  • हम भक्ति में कितना आगे बढ़े या नहीं जानने का सटीक पैमाना।
  • सभी रसिक संतों द्वारा भक्ति बढ़ाने के लिये बताई गई दुर्लभ बातें।
  • दैनिक आत्मनिरीक्षण, उसका मनन एवं होने वाले अपराधों से प्रायश्च‍ित के उपाय।
प्रकार विक्रेता मूल्य मात्रा

विवरण

जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज जिन्होंने शास्त्रीय सिद्धांतों को अत्यधिक सरल सरस भाषा में प्रवचनों के माध्यम से ही नहीं, अपितु अनेक प्रकार से जन-जन तक पहुँचाकर अपना सम्पूर्ण जीवन जीव कल्याणार्थ समर्पित किया।

चलते फिरते, उठते बैठते हर समय उनको एक ही चिन्ता रहती थी कि किस प्रकार हर किसी को अध्यात्म पथ पर आगे बढ़ायें। कभी प्यार दुलार से समझाकर, तो कभी गुस्सा दिखाकर साधकों को सचेत करते रहते थे। समय समय पर उन्होंने किस प्रकार से हमें हमारे दोषों को बताकर सावधान किया है। इस पुस्तक में प्रकाशित किया जा रहा है। हम अपने अन्दर झांके कि हम कहाँ है? हमारे कृपालु गुरुदेव ने हमारे साथ कितना परिश्रम किया कहीं वह व्यर्थ न चला जाय। इसलिए पुस्तक का नाम आत्मनिरीक्षण रखा जा रहा है। कृपया बार बार पढ़ें।

विशेष विवरण

भाषा हिन्दी
शैली / रचना-पद्धति सिद्धांत
विषयवस्तु छोटी किताब, अभ्यास की शक्ति, हर दिन पढ़ें
फॉर्मेट पेपरबैक
वर्गीकरण संकलन
लेखक जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
प्रकाशक राधा गोविंद समिति
पृष्ठों की संख्या 71
वजन (ग्राम) 81
आकार 12.5 सेमी X 18 सेमी X 0.5 सेमी
आई.एस.बी.एन. 9789380661452

पाठकों के रिव्यू

  0/5