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जे के पी लिटरेचर
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9789390373123 648c0e8a6da5b89300a126af सुमिरन - हिन्दी https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/648c0ec83301b5291620fa56/sumiran.jpg

71 पंक्तियों के इस संकीर्तन में जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने सम्पूर्ण भक्ति सम्बन्धी तत्त्वज्ञान इतनी सरलता, सरसता और सुन्दरता से भर दिया है कि साधारण से साधारण बुद्धि वाला भी आसानी से समझ सकता है। एक एक पंक्ति में शास्त्रों वेदों का सार समाहित है। पढ़ने के साथ साथ इसकी धुन इतनी आकर्षक है कि वह हृदय को बरबस भक्ति रस से भर देती है।

साधकों के लाभ हेतु इसकी स्वर लिपी भी लिखी जा रही है।

Sumiran-Hindi
in stockUSD 50
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सुमिरन - हिन्दी

सुमिरन - हिन्दी

जगद्गुरुत्तम द्वारा अंतिम संकीर्तन
भाषा - हिन्दी

$0.6


विशेषताएं
  • यह पुस्तक जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा रचित 71 पंक्तियों का संग्रह है।
  • प्रत्येक पंक्ति में शास्त्रों और वैदिक ज्ञान का सार समाहित है।
  • साधकों के लाभ हेतु, इस पुस्तक में संगीतिक नोटेशन (स्वरलिपि) भी लिखी जा रही है।
  • यह एक छोटी सी पुस्तक है जो आसानी से कहीं भी ले जाई जा सकती है।
  • सैधांतिक ज्ञान प्रदान करने के साथ-साथ पंक्तियों की आकर्षक सुमधुर धुन मन को भक्ति भाव से भर देती है।
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प्रकारविक्रेतामूल्यमात्रा

विवरण

71 पंक्तियों के इस संकीर्तन में जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने सम्पूर्ण भक्ति सम्बन्धी तत्त्वज्ञान इतनी सरलता, सरसता और सुन्दरता से भर दिया है कि साधारण से साधारण बुद्धि वाला भी आसानी से समझ सकता है। एक एक पंक्ति में शास्त्रों वेदों का सार समाहित है। पढ़ने के साथ साथ इसकी धुन इतनी आकर्षक है कि वह हृदय को बरबस भक्ति रस से भर देती है।

साधकों के लाभ हेतु इसकी स्वर लिपी भी लिखी जा रही है।

विशेष विवरण

भाषाहिन्दी
शैली / रचना-पद्धतिसंकीर्तन
विषयवस्तुछोटी किताब, भक्ति गीत और भजन, तत्वज्ञान
फॉर्मेटपेपरबैक
वर्गीकरणसंकीर्तन
लेखकजगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
प्रकाशकराधा गोविंद समिति
आई.एस.बी.एन.9789390373123

पाठकों के रिव्यू

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