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जे के पी लिटरेचर
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61c080eaff78a392b42a9767 साधन साध्य - होली 2015 - हिन्दी https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/61c1c10c49c8baaf5296407e/holi15.jpg

होली के पावन पर्व पर सभी साधकों को हार्दिक बधाई!

यह पर्व निष्काम प्रेम की ओर प्रेरित करता है तथा सभी साधकों को सन्देश देता है कि भगवान् सर्वव्यापक है। एक क्षण भी उन्हें न भूलो, सदा सर्वत्र अपने साथ अनुभव करो। यही तत्त्वज्ञान हमारे परम आराध्य जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा हमें विभिन्न रूपों में प्रदान किया गया। पुस्तकों के अतिरिक्त, कभी प्रवचन के द्वारा, तो कभी संकीर्तन के माध्यम से, तो कभी अन्य उपाय अपनाकर हास परिहास में उन्होंने हर साधक के मस्तिष्क में यह शास्त्रीय सिद्धान्त भरने का भागीरथ प्रयास किया कि हरि गुरु को सदा सर्वत्र अपने साथ समझो। आज उनकी दिव्य वाणी का पुन: पुन: श्रवण हमारे लिए अन्त:करण शुद्धि का सर्वश्रेष्ठ साधन है।

सभी पाठकों से विनम्र निवेदन है कि होली साधना पूर्ण मनोयोग के साथ श्रीमहाराज जी द्वारा बताये गये साधना के नियमों का पूर्णतया पालन करते हुये करें। जिससे भक्तियोगरसावतार सद्गुरु सरकार का पुन: भक्ति-धाम में अवतरण हो जाय।

सद्गुरु श्री चरणों में कोटि कोटि प्रणाम।

Sadhan Sadhya - Holi 2015
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Sadhan Sadhya Holi 2015

साधन साध्य - होली 2015 - हिन्दी

भाषा - हिन्दी

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प्रकारविक्रेतामूल्यमात्रा

विवरण

होली के पावन पर्व पर सभी साधकों को हार्दिक बधाई!

यह पर्व निष्काम प्रेम की ओर प्रेरित करता है तथा सभी साधकों को सन्देश देता है कि भगवान् सर्वव्यापक है। एक क्षण भी उन्हें न भूलो, सदा सर्वत्र अपने साथ अनुभव करो। यही तत्त्वज्ञान हमारे परम आराध्य जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा हमें विभिन्न रूपों में प्रदान किया गया। पुस्तकों के अतिरिक्त, कभी प्रवचन के द्वारा, तो कभी संकीर्तन के माध्यम से, तो कभी अन्य उपाय अपनाकर हास परिहास में उन्होंने हर साधक के मस्तिष्क में यह शास्त्रीय सिद्धान्त भरने का भागीरथ प्रयास किया कि हरि गुरु को सदा सर्वत्र अपने साथ समझो। आज उनकी दिव्य वाणी का पुन: पुन: श्रवण हमारे लिए अन्त:करण शुद्धि का सर्वश्रेष्ठ साधन है।

सभी पाठकों से विनम्र निवेदन है कि होली साधना पूर्ण मनोयोग के साथ श्रीमहाराज जी द्वारा बताये गये साधना के नियमों का पूर्णतया पालन करते हुये करें। जिससे भक्तियोगरसावतार सद्गुरु सरकार का पुन: भक्ति-धाम में अवतरण हो जाय।

सद्गुरु श्री चरणों में कोटि कोटि प्रणाम।

विशेष विवरण

भाषाहिन्दी
शैली / रचना-पद्धतिआध्यात्मिक पत्रिका
फॉर्मेटपत्रिका
लेखकपरम पूज्या डॉ श्यामा त्रिपाठी
प्रकाशकराधा गोविंद समिति
आकार21.5 सेमी X 28 सेमी X 0.4 सेमी

पाठकों के रिव्यू

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