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9788190966153 619c918211eb882ab023efe4 प्रेम भिक्षां देही - हिन्दी https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/63d77d9146ee4df28a20aed0/prem-bhiksham-dehi.jpg

प्रत्येक जीव श्रीकृष्ण का नित्यदास है, किन्तु अनादिकाल से इस स्वाभाविक स्वरूप को भूल जाने के कारण माया का आधिपत्य बना हुआ है। परिणामस्वरूप जीव अनन्तानन्त दु:ख पा रहा है।

गुरु निर्दिष्ट साधना द्वारा अन्त:करण शुद्ध होने पर गुरुकृपा से स्वरूप शक्तियुक्त प्रेम मिलेगा। तब जीव नित्य दासत्व को प्राप्त होगा।

अकारण करुण कृपालु गुरुदेव ने समस्त शास्त्रों-वेदों का सार स्वरूप दैनिक प्रार्थना लिखकर साधकों के लिए साधना का बहुत संक्षिप्त रूप प्रकट कर दिया है। कोई भी साधक अगर पूरे मनोयोग के साथ यह प्रार्थना रूपध्यान युक्त करता है तो वह अपने-आप में दिव्य प्रेम प्राप्ति का सर्वसुलभ साधन है।

प्रस्तुत पुस्तक में आचार्य श्री के विभिन्न प्रवचनों का अंश संकलित किया गया है, जो दैनिक प्रार्थना के प्रत्येक वाक्य का अर्थ भली भाँति स्पष्ट करता है। प्रत्येक साधक के लिए यह पुस्तक परमोपयोगी है क्योंकि इसमें छिपे गूढ़ अर्थ को समझने के बाद प्रार्थना करने से उसका विशेष लाभ अवश्य-अवश्य होगा।

Prem Bhiksham Dehi - Hindi
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प्रेम भिक्षां देही - हिन्दी

प्रेम भिक्षां देही - हिन्दी

दिव्य, अद्वितीय, अलौकिक प्रार्थना जो भगवान् को भी द्रवीभूत कर दे
भाषा - हिन्दी

$1.02
$1.8   (43%छूट)


विशेषताएं
  • दीनभावयुक्त, करुणाभरी प्रार्थना जो आपका हृदय द्रवित कर दे।
  • दैनिक प्रार्थना की प्रत्येक लाइन की सारगर्भित व्याख्या।
  • राधाकृष्ण एवं गुरु की प्रार्थना की अद्भुत व्याख्या
  • भागवत में वर्णित हरि गुरु संबंधित श्लोक एवं प्रार्थना का वर्णन।
  • भगवान् से निष्काम प्रेम की याचना हेतु करुणायुक्त प्रार्थना की व्याख्या।
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प्रकारविक्रेतामूल्यमात्रा

विवरण

प्रत्येक जीव श्रीकृष्ण का नित्यदास है, किन्तु अनादिकाल से इस स्वाभाविक स्वरूप को भूल जाने के कारण माया का आधिपत्य बना हुआ है। परिणामस्वरूप जीव अनन्तानन्त दु:ख पा रहा है।

गुरु निर्दिष्ट साधना द्वारा अन्त:करण शुद्ध होने पर गुरुकृपा से स्वरूप शक्तियुक्त प्रेम मिलेगा। तब जीव नित्य दासत्व को प्राप्त होगा।

अकारण करुण कृपालु गुरुदेव ने समस्त शास्त्रों-वेदों का सार स्वरूप दैनिक प्रार्थना लिखकर साधकों के लिए साधना का बहुत संक्षिप्त रूप प्रकट कर दिया है। कोई भी साधक अगर पूरे मनोयोग के साथ यह प्रार्थना रूपध्यान युक्त करता है तो वह अपने-आप में दिव्य प्रेम प्राप्ति का सर्वसुलभ साधन है।

प्रस्तुत पुस्तक में आचार्य श्री के विभिन्न प्रवचनों का अंश संकलित किया गया है, जो दैनिक प्रार्थना के प्रत्येक वाक्य का अर्थ भली भाँति स्पष्ट करता है। प्रत्येक साधक के लिए यह पुस्तक परमोपयोगी है क्योंकि इसमें छिपे गूढ़ अर्थ को समझने के बाद प्रार्थना करने से उसका विशेष लाभ अवश्य-अवश्य होगा।

विशेष विवरण

भाषाहिन्दी
शैली / रचना-पद्धतिसिद्धांत
विषयवस्तुछोटी किताब, तत्वज्ञान
फॉर्मेटपेपरबैक
वर्गीकरणसंकलन
लेखकजगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
प्रकाशकराधा गोविंद समिति
पृष्ठों की संख्या67
वजन (ग्राम)102
आकार14 सेमी X 22 सेमी X 0.5 सेमी
आई.एस.बी.एन.9788190966153

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