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9788194238614 619c917f9b2efd2adf9b6ecc नाम महिमा //cdn.storehippo.com/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/63d77ab7d1bb9cf24dc8107d/naam-mahima.jpg

समस्त वेद-शास्त्रों में कलिकाल में भवरोग के निदान के लिये एकमात्र हरिनाम संकीर्तन को ही औषधि बताया गया है। किन्तु इस घोर कलिकाल में अनेक अज्ञानियों, दम्भियों द्वारा ईश्वर प्राप्ति के अनेक मनगढ़न्त मार्गों, अनेकानेक साधनाओं का निरूपण सुनकर भोले-भाले मनुष्य कोरे कर्मकाण्डादि में प्रवृत्त होकर भ्रान्त हो रहे हैं।

ऐसे में अज्ञानान्धकार में डूबे जीवों का वास्तविक मार्गदर्शन करते हुए संत शिरोमणि भक्तियोगरसावतार इस युग के परमाचार्य पंचम मूल जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज दिव्य प्रेम रस मदिरा से ओतप्रोत स्वरचित अद्वितीय ब्रजरस संकीर्तनों द्वारा रूपध्यान की सर्वसुगम, सर्वसाध्य, सरलातिसरल पद्धति से पिपासु जीवों को हरि नामामृत का पान कराकर ईश्वरीय प्रेम में सराबोर कर रहे हैं।

प्रस्तुत पुस्तक में जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा समय-समय पर नाम महिमा पर दिये गये प्रवचनों के अंश संकलित करके उन्हें इस प्रकार से क्रमबद्ध किया गया है कि एक साधारण व्यक्ति भी यह भली प्रकार समझ सके कि किस प्रकार नाम संकीर्तन द्वारा वह भगवत्प्राप्ति कर सकता है। यद्यपि जगह-जगह अखण्ड संकीर्तन हो रहे हैं, किन्तु भगवन्नाम विज्ञान को भली-भाँति न समझने के कारण हमारा लाभ नहीं हो पा रहा है। अत: नाम महिमा को समझकर गुणगान करने से ही संकीर्तन द्वारा वास्तविक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

Naam Mahima - Hindi
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नाम महिमा

नाम महिमा

नाम जपने वालों के लिए अगला पाठ।
भाषा - हिन्दी

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विशेषताएं
  • भगवन्नाम की अद्भुत महिमा क्या है?
  • नाम महिमा क्या है? क्यों इसे भगवान् की सबसे बड़ी कृपा कहा जाता है?
  • यदि आप नाम जप करते हैं तो ये गलती भूलकर भी मत करना वरना जप का कोई लाभ नहीं मिलेगा।
  • आसान भाषा में जाने भगवान् के नाम की महिमा का रहस्य?
प्रकारविक्रेतामूल्यमात्रा

विवरण

समस्त वेद-शास्त्रों में कलिकाल में भवरोग के निदान के लिये एकमात्र हरिनाम संकीर्तन को ही औषधि बताया गया है। किन्तु इस घोर कलिकाल में अनेक अज्ञानियों, दम्भियों द्वारा ईश्वर प्राप्ति के अनेक मनगढ़न्त मार्गों, अनेकानेक साधनाओं का निरूपण सुनकर भोले-भाले मनुष्य कोरे कर्मकाण्डादि में प्रवृत्त होकर भ्रान्त हो रहे हैं।

ऐसे में अज्ञानान्धकार में डूबे जीवों का वास्तविक मार्गदर्शन करते हुए संत शिरोमणि भक्तियोगरसावतार इस युग के परमाचार्य पंचम मूल जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज दिव्य प्रेम रस मदिरा से ओतप्रोत स्वरचित अद्वितीय ब्रजरस संकीर्तनों द्वारा रूपध्यान की सर्वसुगम, सर्वसाध्य, सरलातिसरल पद्धति से पिपासु जीवों को हरि नामामृत का पान कराकर ईश्वरीय प्रेम में सराबोर कर रहे हैं।

प्रस्तुत पुस्तक में जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा समय-समय पर नाम महिमा पर दिये गये प्रवचनों के अंश संकलित करके उन्हें इस प्रकार से क्रमबद्ध किया गया है कि एक साधारण व्यक्ति भी यह भली प्रकार समझ सके कि किस प्रकार नाम संकीर्तन द्वारा वह भगवत्प्राप्ति कर सकता है। यद्यपि जगह-जगह अखण्ड संकीर्तन हो रहे हैं, किन्तु भगवन्नाम विज्ञान को भली-भाँति न समझने के कारण हमारा लाभ नहीं हो पा रहा है। अत: नाम महिमा को समझकर गुणगान करने से ही संकीर्तन द्वारा वास्तविक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

विशेष विवरण

भाषाहिन्दी
शैली / रचना-पद्धतिसिद्धांत
विषयवस्तुतत्वज्ञान
फॉर्मेटपेपरबैक
वर्गीकरणसंकलन
लेखकजगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
प्रकाशकराधा गोविंद समिति
पृष्ठों की संख्या148
वजन (ग्राम)202
आकार14 सेमी X 22 सेमी X 1 सेमी
आई.एस.बी.एन.9788194238614

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