G-12, G-14, Plot No-4 CSC, HAF Sector-10, Dwarka 110075 New Delhi IN
जे के पी लिटरेचर
G-12, G-14, Plot No-4 CSC, HAF Sector-10, Dwarka New Delhi, IN
+918588825815 https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/621dbb04d3485f1d5934ef35/logo-18-480x480.png" [email protected]
6505a0bcd42e563ff75ef67a मुरली माधुरी: 17वाँ अध्याय-प्रेम रस मदिरा - ईबुक हिन्दी https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/6505a0bed42e563ff75ef708/17.jpg जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज बताते हैं कि दिव्य गोलोक धाम में, श्री राधा कृष्ण के वस्त्र, आभूषण, आदि सब कुछ भगवान स्वयं बनते हैं, सभी वस्तुएँ चेतन होती हैं। संसार के सामान की तरह जड़ नहीं होते। ये अद्वितीय पद आध्यात्मिक पथ पर चलने वालों को श्री कृष्ण की दिव्य मुरली के प्रति, इसके आनंदमय स्वभाव, इसकी आकर्षित करने वाली मधुर ध्वनि, और इसकी तपस्या की सीमा से परिचित कराते हैं। भक्ति के इस महान संग्रह / महान निधि, 'प्रेम रस मदिरा' का यह सत्रहवाँ अध्याय है। 'प्रेम रस मदिरा' के दिव्य अद्वितीय 1008 भक्ति से परिपूर्ण पद वेदों, पुराणों, उपनिषदों आदि के सिद्धांतों पर आधारित हैं। PRM Hindi ebook Ch 17
in stockINR 150
1 1
मुरली माधुरी: 17वाँ अध्याय-प्रेम रस मदिरा - ईबुक हिन्दी

मुरली माधुरी: 17वाँ अध्याय-प्रेम रस मदिरा - ईबुक हिन्दी

भाषा - हिन्दी



SHARE PRODUCT
प्रकारविक्रेतामूल्यमात्रा

विवरण

जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज बताते हैं कि दिव्य गोलोक धाम में, श्री राधा कृष्ण के वस्त्र, आभूषण, आदि सब कुछ भगवान स्वयं बनते हैं, सभी वस्तुएँ चेतन होती हैं। संसार के सामान की तरह जड़ नहीं होते। ये अद्वितीय पद आध्यात्मिक पथ पर चलने वालों को श्री कृष्ण की दिव्य मुरली के प्रति, इसके आनंदमय स्वभाव, इसकी आकर्षित करने वाली मधुर ध्वनि, और इसकी तपस्या की सीमा से परिचित कराते हैं। भक्ति के इस महान संग्रह / महान निधि, 'प्रेम रस मदिरा' का यह सत्रहवाँ अध्याय है। 'प्रेम रस मदिरा' के दिव्य अद्वितीय 1008 भक्ति से परिपूर्ण पद वेदों, पुराणों, उपनिषदों आदि के सिद्धांतों पर आधारित हैं।

विशेष विवरण

भाषाहिन्दी
शैली / रचना-पद्धतिसंकीर्तन
फॉर्मेटईबुक
वर्गीकरणप्रमुख रचना
लेखकजगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
प्रकाशकराधा गोविंद समिति

पाठकों के रिव्यू

  0/5