G-12, G-14, Plot No-4 CSC, HAF Sector-10, Dwarka 110075 New Delhi IN
जे के पी लिटरेचर
G-12, G-14, Plot No-4 CSC, HAF Sector-10, Dwarka New Delhi, IN
+918588825815 https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/621dbb04d3485f1d5934ef35/logo-18-480x480.png" [email protected]
6505a0b9bab5856cb9266dd0 मान-माधुरी: 16वाँ अध्याय-प्रेम रस मदिरा - ईबुक हिन्दी https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/6505a0babab5856cb9266dfc/16.jpg जगदगुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज इन पदों में प्रेम के एक विशेष पहलु का वर्णन कर रहे हैं। इस माधुरी के माध्यम से आध्यात्मिक साधकों को उस दिव्या लीला के दर्शन का अवसर मिलता है जब श्री कृष्ण श्री राधा को मनाने का प्रयास कर रहे हैं, जिन्होंने दिव्य मान धारण कर लिया है। यहाँ कोई वास्तविक मान नहीं है, केवल दिव्य रस लीला है श्री कृष्ण और उनकी माधुर्य भाव के बीच। यहाँ श्री कृष्ण की श्री राधा रानी की सेवा करने की इच्छा इतनी उत्कृष्ट एवं तीव्र है कि श्री राधा रानी मान करने का अभिनय करती हैं ताकि श्री कृष्ण को उन्हें मनाने का अवसर मिले। ये पद यह भी दर्शाते हैं कि युगल सरकार को केवल क्षण भर के लिए भी एक-दूसरे के वियोग में किस उच्च स्तर की पीड़ा का अनुभव होता है। भक्ति के इस महान संग्रह / महान निधि, 'प्रेम रस मदिरा' का यह सोलहवाँ अध्याय है। 'प्रेम रस मदिरा' के दिव्य अद्वितीय 1008 भक्ति से परिपूर्ण पद वेदों, पुराणों, उपनिषदों आदि के सिद्धांतों पर आधारित हैं। PRM Hindi ebook Ch 16
in stockINR 100
1 1
मान-माधुरी: 16वाँ अध्याय-प्रेम रस मदिरा - ईबुक हिन्दी

मान-माधुरी: 16वाँ अध्याय-प्रेम रस मदिरा - ईबुक हिन्दी

भाषा - हिन्दी



SHARE PRODUCT
प्रकारविक्रेतामूल्यमात्रा

विवरण

जगदगुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज इन पदों में प्रेम के एक विशेष पहलु का वर्णन कर रहे हैं। इस माधुरी के माध्यम से आध्यात्मिक साधकों को उस दिव्या लीला के दर्शन का अवसर मिलता है जब श्री कृष्ण श्री राधा को मनाने का प्रयास कर रहे हैं, जिन्होंने दिव्य मान धारण कर लिया है। यहाँ कोई वास्तविक मान नहीं है, केवल दिव्य रस लीला है श्री कृष्ण और उनकी माधुर्य भाव के बीच। यहाँ श्री कृष्ण की श्री राधा रानी की सेवा करने की इच्छा इतनी उत्कृष्ट एवं तीव्र है कि श्री राधा रानी मान करने का अभिनय करती हैं ताकि श्री कृष्ण को उन्हें मनाने का अवसर मिले। ये पद यह भी दर्शाते हैं कि युगल सरकार को केवल क्षण भर के लिए भी एक-दूसरे के वियोग में किस उच्च स्तर की पीड़ा का अनुभव होता है। भक्ति के इस महान संग्रह / महान निधि, 'प्रेम रस मदिरा' का यह सोलहवाँ अध्याय है। 'प्रेम रस मदिरा' के दिव्य अद्वितीय 1008 भक्ति से परिपूर्ण पद वेदों, पुराणों, उपनिषदों आदि के सिद्धांतों पर आधारित हैं।

विशेष विवरण

भाषाहिन्दी
शैली / रचना-पद्धतिसंकीर्तन
फॉर्मेटईबुक
वर्गीकरणप्रमुख रचना
लेखकजगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
प्रकाशकराधा गोविंद समिति

पाठकों के रिव्यू

  0/5