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जे के पी लिटरेचर
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6505a0c06071d63f5d6015f4 होरी माधुरी : 18वाँ अध्याय - प्रेम रस मदिरा - ईबुक हिन्दी https://www.jkpliterature.org.in/s/61949a48ba23e5af80a5cfdd/6505a0c16071d63f5d601605/18.jpg होली, रंगों का प्रसिद्ध त्योहार, निष्काम भक्ति की महिमा दर्शाता है और साथ ही यह विश्वास जगाता है कि भगवान ही अपने भक्तों के सर्वोपरि संरक्षक हैं । यह त्यौहार श्री कृष्ण को उनकी नटखट, प्रेमपूर्ण लीलायें रचने का उचित आवरण प्रदान करता है, जिसमें वह श्री राधा और उनकी सखियों के साथ अपनी प्रेम लीलाओं में रंग जाते हैं। जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज ने इन 30 भक्ति पदों में इस दिव्य उल्लास का चित्रण किया है। प्रत्येक पद में रस , दिव्यानंद और मीठी नोक झोंक भरपूर है। भक्ति के इस महान संग्रह / महान निधि, 'प्रेम रस मदिरा' का यह अठारहवाँ अध्याय है। 'प्रेम रस मदिरा' के दिव्य अद्वितीय 1008 भक्ति से परिपूर्ण पद वेदों, पुराणों, उपनिषदों आदि के सिद्धांतों पर आधारित हैं। PRM Hindi ebook Ch 18
in stockUSD 150
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होरी माधुरी : 18वाँ अध्याय - प्रेम रस मदिरा - ईबुक हिन्दी

होरी माधुरी : 18वाँ अध्याय - प्रेम रस मदिरा - ईबुक हिन्दी

भाषा - हिन्दी



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प्रकारविक्रेतामूल्यमात्रा

विवरण

होली, रंगों का प्रसिद्ध त्योहार, निष्काम भक्ति की महिमा दर्शाता है और साथ ही यह विश्वास जगाता है कि भगवान ही अपने भक्तों के सर्वोपरि संरक्षक हैं । यह त्यौहार श्री कृष्ण को उनकी नटखट, प्रेमपूर्ण लीलायें रचने का उचित आवरण प्रदान करता है, जिसमें वह श्री राधा और उनकी सखियों के साथ अपनी प्रेम लीलाओं में रंग जाते हैं। जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज ने इन 30 भक्ति पदों में इस दिव्य उल्लास का चित्रण किया है। प्रत्येक पद में रस , दिव्यानंद और मीठी नोक झोंक भरपूर है। भक्ति के इस महान संग्रह / महान निधि, 'प्रेम रस मदिरा' का यह अठारहवाँ अध्याय है। 'प्रेम रस मदिरा' के दिव्य अद्वितीय 1008 भक्ति से परिपूर्ण पद वेदों, पुराणों, उपनिषदों आदि के सिद्धांतों पर आधारित हैं।

विशेष विवरण

भाषाहिन्दी
शैली / रचना-पद्धतिसंकीर्तन
फॉर्मेटईबुक
वर्गीकरणप्रमुख रचना
लेखकजगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
प्रकाशकराधा गोविंद समिति

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