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जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के स्नेहमय व्यक्तित्व से प्रभावित होकर हर साधक बिना किसी संकोच के उनके पास शंका समाधान के लिए आता। वे इतनी आत्मीयता से उसकी जिज्ञासा को शान्त करते कि वह भूल ही जाता कि वह जगद्गुरूत्तम से बात कर रहा है।

उनका हर वाक्य शास्त्र वेद सम्मत ही है। प्रस्तुत पुस्तक में बृहदारण्यकोपनिषद् में वर्णित देवता मनुष्यों और असुरों को प्रजापति ब्रह्मा के द्वारा उपदेश ‘द’ ‘द’ ‘द’ की व्याख्या है। साथ ही दान से सम्बन्धित कुछ प्रश्नों का उत्तर संकलित किया गया है। सभी साधकों के लिए परमोपयोगी है। उन्हें दान की प्रेरणा मिलेगी और दान सम्बन्धी नियमों की जानकरी प्राप्त होगी। जिससे तन, मन, धन का सदुपयोग कर सकेंगे।

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विवरण

जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के स्नेहमय व्यक्तित्व से प्रभावित होकर हर साधक बिना किसी संकोच के उनके पास शंका समाधान के लिए आता। वे इतनी आत्मीयता से उसकी जिज्ञासा को शान्त करते कि वह भूल ही जाता कि वह जगद्गुरूत्तम से बात कर रहा है।

उनका हर वाक्य शास्त्र वेद सम्मत ही है। प्रस्तुत पुस्तक में बृहदारण्यकोपनिषद् में वर्णित देवता मनुष्यों और असुरों को प्रजापति ब्रह्मा के द्वारा उपदेश ‘द’ ‘द’ ‘द’ की व्याख्या है। साथ ही दान से सम्बन्धित कुछ प्रश्नों का उत्तर संकलित किया गया है। सभी साधकों के लिए परमोपयोगी है। उन्हें दान की प्रेरणा मिलेगी और दान सम्बन्धी नियमों की जानकरी प्राप्त होगी। जिससे तन, मन, धन का सदुपयोग कर सकेंगे।

विशेष विवरण

भाषाहिन्दी
शैली / रचना-पद्धतिसिद्धांत
फॉर्मेटईबुक
वर्गीकरणसंकलन
लेखकजगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
प्रकाशकराधा गोविंद समिति
आई.एस.बी.एन.9788194589655

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