जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज जिन्होंने शास्त्रीय सिद्धांतों को अत्यधिक सरल सरस भाषा में प्रवचनों के माध्यम से ही नहीं, अपितु अनेक प्रकार से जन-जन तक पहुँचाकर अपना सम्पूर्ण जीवन जीव कल्याणार्थ समर्पित किया।
चलते फिरते, उठते बैठते हर समय उनको एक ही चिन्ता रहती थी कि किस प्रकार हर किसी को अध्यात्म पथ पर आगे बढ़ायें। कभी प्यार दुलार से समझाकर, तो कभी गुस्सा दिखाकर साधकों को सचेत करते रहते थे। समय समय पर उन्होंने किस प्रकार से हमें हमारे दोषों को बताकर सावधान किया है। इस पुस्तक में प्रकाशित किया जा रहा है। हम अपने अन्दर झांके कि हम कहाँ है? हमारे कृपालु गुरुदेव ने हमारे साथ कितना परिश्रम किया कहीं वह व्यर्थ न चला जाय। इसलिए पुस्तक का नाम आत्मनिरीक्षण रखा जा रहा है। कृपया बार बार पढ़ें।
Atma Nirikshan - Hindiप्रकार | विक्रेता | मूल्य | मात्रा |
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जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज जिन्होंने शास्त्रीय सिद्धांतों को अत्यधिक सरल सरस भाषा में प्रवचनों के माध्यम से ही नहीं, अपितु अनेक प्रकार से जन-जन तक पहुँचाकर अपना सम्पूर्ण जीवन जीव कल्याणार्थ समर्पित किया।
चलते फिरते, उठते बैठते हर समय उनको एक ही चिन्ता रहती थी कि किस प्रकार हर किसी को अध्यात्म पथ पर आगे बढ़ायें। कभी प्यार दुलार से समझाकर, तो कभी गुस्सा दिखाकर साधकों को सचेत करते रहते थे। समय समय पर उन्होंने किस प्रकार से हमें हमारे दोषों को बताकर सावधान किया है। इस पुस्तक में प्रकाशित किया जा रहा है। हम अपने अन्दर झांके कि हम कहाँ है? हमारे कृपालु गुरुदेव ने हमारे साथ कितना परिश्रम किया कहीं वह व्यर्थ न चला जाय। इसलिए पुस्तक का नाम आत्मनिरीक्षण रखा जा रहा है। कृपया बार बार पढ़ें।
भाषा | हिन्दी |
शैली / रचना-पद्धति | सिद्धांत |
विषयवस्तु | छोटी किताब, अभ्यास की शक्ति, हर दिन पढ़ें |
फॉर्मेट | पेपरबैक |
वर्गीकरण | संकलन |
लेखक | जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज |
प्रकाशक | राधा गोविंद समिति |
पृष्ठों की संख्या | 71 |
वजन (ग्राम) | 81 |
आकार | 12.5 सेमी X 18 सेमी X 0.5 सेमी |
आई.एस.बी.एन. | 9789380661452 |