Availability: In stock Pages: 60 Format * Paperback [] Paperback Language * Hindi [] Hindi Need any help Show in English This is the second issue of this calendar year, released to coincide with the auspicious occasion of Guru Purnima. The teachings of Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj are the focus of the magazine, presented as transcripts of discourses or explanations of some of his sankirtans, padas or devotional couplets or verses. Articles relating to the significance and importance of a Guru in the life of a devotional practitioner are also included. The magazine chronicles the daily life of Shri Maharaj Ji and summarises the charitable events, devotional programmes and other important activities undertaken by Jagadguru Kripalu Parishat after the release of the previous issue. श्री गुरुवर के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम करते हुए सभी साधकों को गुरु-पूर्णिमा की हार्दिक बधाई। हम सभी साधकों के लिये गुरु पूर्णिमा पर्व विशेष महत्त्वपूर्ण है। यद्यपि कृपालु गुरुदेव तो सदैव ही कृपा की वर्षा करते रहते हैं। स्वयं ब्रज रस में डूबे हुये हम सबको भी बरबस ब्रजरस में सराबोर करना उनका स्वभाव है तथापि गुरु पूर्णिमा पर सभी साधक गुरुवर के दर्शन करना चाहते हैं। गुरु-पूर्णिमा मनाने से तात्पर्य यही है कि गुरु चरणों में पूर्ण प्रपत्ति हो तथा हम सब आत्मनिरीक्षण करें, पिछली गुरु-पूर्णिमा से अब की गुरु-पूर्णिमा तक हम आगे बढ़े या नहीं? किसी के कड़ुवे वाक्य बुरा लगना कम हुआ, निन्दा का असर कम होने लगा, क्रोध कम होने लगा? नहीं हुआ तो फिर हमने क्या किया साल भर? और ऐसे ही लापरवाही करते रहेंगे, और फिर मर जायेंगे। और फिर ये भी क्या ठिकाना है, हम कुछ दिन रहेंगे ही। ये तो क्षणिक है, शरीर। किस क्षण में क्या हो, कोई नहीं कह सकता, इसलिए सावधान रहना है, निरन्तर हरि गुरु चिन्तन करना है। ऐसा सहज सनेही सच्चा सद्गुरु जो शास्त्राें वेदों का चल स्वरूप है, श्री राधाकृष्ण भक्ति का मूर्तिमान स्वरूप है, अकारण करुणा का मूर्त स्वरूप है, जिसका तन, मन सब कृपा का ही बना है, ऐसे सद्गुरु सरकार का मार्गदर्शन पाकर अपने सौभाग्य पर बलिहार जाते हुए गुरुवर के शास्त्रों के सारांश स्वरूप प्रमुख उपदेश-हरि गुरु भजु नित गोविन्द राधे।भाव निष्काम अनन्य बना दे॥का शतश: पालन करने का संकल्प लें। गुरु चरणों में कोटि कोटि प्रणाम।